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कृषि क्षेत्र को प्रभावित करेगा न्यू कोविड वेरियंट

कृषि क्षेत्र को प्रभावित करेगा न्यू कोविड वेरियंट

कोराना के न्यू वेरियंट को लेकर देश में भी सतर्कता की डुगडुगी बजने लगी है। फिलहाल भले ही इसका कोई असर न दिखे लेकिन यह कृषि क्षेत्र को भी अच्छा खासा प्रभावित करेगा। हाल ही में यूरिया जैसे उर्वरक की कमी के पीछे भी इसके असर को कम करके नहीं देखा जा सकता। यदि भविष्य में जरा भी हालात बिगडे तो फसलों की बेकदरी होने से नहीं बच सकती। देश में खाद की कुल जरूरत का आधा हिस्सा अकेला यूरिया का है। बाकी सभी खादों के सापेक्ष  देश में सालाना करीब 320 लाख टन यूरिया की खपता होती है। इसमेंं तकरीबन 60 लाख टन यूरिया विदेशों से आयात किया जाता है।

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उर्वरक उपयोग की प्रवृत्ति लागातार बढ़ रही है। किसान इन पर पूरी तरह निर्भर होते जा रहे हैं। जमीन में कंपोस्ट खादों की रिक्तता से खेती में रासायनिक खादों के बैलेंस और फसलों द्वारा उसके अवशोषण में भी गिरावट दर्ज की जा रही है। यानी कार्बनिक खादों के अभाव में रासायनिक खादें जितनी मात्रा में डाली जा रही हैं उनके काफी बड़े अंश का खेती में दुरुपयोग हो रहा है। फसल उन्हें पूरी तरह से ले नहीं पातीं। खादों को पौधों की जड़ों तक पहुंचाने वाले वैक्टीरिया जमीन में लागातार घट रहे है। जमीन रासायनिक खादों की आदी हो गई है और अब किसानों को पर्याप्त खाद भी मिल नहीं पा रही है। इस तरह की प्रतिकूलताओं के बाद भी किसानों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि आगामी कोविड न्यू वेरियंट के प्रभाव से उनकी फसलों का बाजार प्रभावित न हो जाए। सरकार को अभी से किसानों की आगामी सीजन की फसलों के उचित मूल्य की दिशा में कमद उठाने होंगे। एक तरफ देश एमएसएपी पर गारंटी वाले कानून की बहस में उलझा है दूसरी तरफ किसान कई तरह की दिक्कतों में उलझे हैं। किसानों की उलझन आजादी के प्रारंभ से अभी तक कम नहीं हुई हैं। वह ज्यादातर ऐसी ही रहती हैं। यानी जैसे खेती भगवान भरोसे रहती है वैसे ही किसान भगवान भरोसे हैं।
MSP को छोड़ बहुत कुछ है किसानों के लिए इस बजट में

MSP को छोड़ बहुत कुछ है किसानों के लिए इस बजट में

अब गंगा के पांच किलोमीटर इलाके में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा 2025 तक देश के सभी गांवों को आप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा ड्रोन के इस्तेमाल से खेती कराने की पेशकश, किसानों को फायदा होने का दावा कृषि विश्वविद्यालय खोलने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहन टिकैत ने कहा, MSP पर तो कुछ बोला ही नहीं

कृषि विशेषज्ञ मानते हैं, खेती के लिए बेहतरीन बजट

मंगलवार को 2022-23 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों को लेकर कई बातें कीं। वैसे, माना यह जा रहा था कि 13 महीनों तक किसानों के विरोध के बाद सरकार दो कदम आगे बढ़ कर MSP पर कोई फैसला करेगी लेकिन इस पर कुछ हुआ नहीं। माना जा रहा था कि MSP बढ़ाई जाएगी और किसानों का दिल जीतने की कोशिश होगी। इसके पीछे बड़ा कारण यह माना जा रहा था कि पांच राज्यों में चुनाव हैं। सो, वित्त मंत्री किसानों के लिए MSP बढ़ाने की घोषणा करेंगी। लेकिन, ऐसा हो न सका। पूरे
बजट में MSP बढ़ाने को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई। हां, यह जरूर बताया गया कि किसानों को MSP के मद में 2.37 लाख करोड़ रुपये देने का इरादा है।

किसानों के लिए बहुत कुछ है इस बजट में

लेकिन, इसका अर्थ यह भी नहीं हुआ कि किसानों के खाते में इस बार वित्तमंत्री ने कुछ भी नहीं दिया। किसानों की झोली दूसरे तरीकों से भरने की कोशिश की गई है। इसमें बड़ा तथ्य है 2.37 लाख करोड़ रुपये MSP  में खर्च करने की योजना। यह धनराशि सीधे किसानों के खाते में जाएगी, फसल के एवज में।

ड्रोन की मदद से खेती

kisan drones गौर से देखें तो खेती-बाड़ी करने वालों के लिए इस बजट में ऐसी बहुत सारी व्यवस्थाएं हैं जिन पर अमल करके वे काफी आगे बढ़ सकते हैं। जैसे, अब खेती में ड्रोन का इस्तेमाल होगा। वित्त मंत्री की यह मान्यता रही है कि अगर ड्रोन आधारित खेती हुई तो निश्चित तौर पर किसानों का वक्त बचेगा और खेती की जो एक्यूरेसी है, वह बढ़ेगी। मतलब यह हुआ कि अब ड्रोन की मदद से किसान कम समय में ही यह जान सकेंगे कि उनकी फसलों की स्थिति क्या है और यह भी कि फसलों को दवा कब देनी है, कितनी देनी है, उसकी एक्यूरेसी क्या होनी चाहिए, यह सब ड्रोन की मदद से बेहद आसानी के साथ किया जाएगा।

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कृषि विश्वविद्यालय खोलने को राज्यों को प्रोत्साहन

agricultural university इसके साथ ही वित्तमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया है। पिछले बजट में भी उन्होंने कहा था कि जब तक किसानी को पढ़ाई से नहीं जोड़ा जाएगा, किसानों को शिक्षित नहीं किया जाएगा, तब तक किसानों की आय बढ़ नहीं सकती। पिछले साल का संकल्प इस साल पूरा करते हुए उन्होंने कई कृषि विश्वविद्यालय खोलने की बातें अपने बजट भाषण में कही हैं। माना जाता है कि जब ये कृषि विश्वविद्यालय खुल जाएंगे तो किसानों को जमीन की उर्वरकता, खेती के तौर-तरीके आदि को आधुनिक रूप में समझने में बेहद मदद मिलेगी। वित्त मंत्री का कृषि विश्वविद्यालयों पर जोर इस बात का भी संकेतक है कि वह किसानों को खेती-बाड़ी की पढ़ाई करती हुई देखना चाहती हैं। यह जरूरी भी है।

आर्गेनिक खेती (Organic Farming) पर जोर

organic farming इस बजट में एक बड़ी बात आर्गेनिक खेती को लेकर भी हुई है। वित्त मंत्री ने कहा है कि अभी पहले चरण में गंगा नदी के पांच किलोमीटर के इलाके में आर्गेनिक खेती की जाएगी। इससे आर्गेनिक खेती को तो बढ़ावा मिलेगा ही, जो पैदावार होगी, वह आम लोगों को भी फायदा पहुंचाएगी। आर्गेनिक खेती में किसी भी किस्म का रसायन इस्तेमाल नहीं होता। इस किस्म की खेती को जीरो बजट खेती भी कहते हैं जिसे कई प्रदेशों के राज्यपाल रहे आचार्य वेदव्रत ने जबरदस्त तरीके से आगे बढ़ाया। माना जा रहा है कि आर्गेनिक खेती का मूल कांसेप्ट उन्हीं का है जिससे प्रधानमंत्री भी सहमत थे। वही चीज आज के बजट में भी प्रभावी तरीके से सामने आई है।

बेतवा परियोजना

Betwa Project इस बजट में अनेक नदियों के किनारे विभिन्न किस्म की परियोजनाओं को भी शुरू करने की बात कही गई है। मध्य प्रदेश के बेतवा परियोजना के लिए 44650 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। मकसद यह है कि देश भर के करीब 10 लाख हेक्टेयर भूमि को खेती योग्य जल उपलब्ध हो। वित्तमंत्री ने किसानों को और राहत देने की पेशकश की है। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा है कि सरकार चाहती है कि किसानों की अधिकांश फसल वह खुद खरीद ले ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2022-23 तक केंद्र सरकार किसानों से 1000 एमएलटी धान की फसल खरीदे।

एग्रो फारेस्ट्री

agro factory इस बजट में एग्रो फारेस्ट्री को लेकर भी चर्चा हुई। वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाला वक्त एग्रो फारेस्ट्री का है। जो भी किसान इस क्षेत्र में आना चाहें, सरकार उनकी मदद करेगी। पैसे देगी। उन्हें अन्य तरीकों से भी सहयोग करेगी। सब्सिडी देने की बात चल रही है।

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हर गांव में 2025 तक आप्टिकल फाइबर का जाल

village Technology कृषि से ही जुड़े ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भी इस बजट में काफी बातें कही गई हैं। उनमें अहम है, देश भर के सभी गांवों में 2025 तक आप्टिकल फाइबर बिछा देना। वित्त मंत्री ने कहाः यह बेहद उम्दा योजना है। हम चाहते हैं कि देश के जितने भी गांव हैं, उन सभी गांवों में आप्टिकल फाइबर बिछाया जाए ताकि हर गांव इंटरनेट से कनेक्टेड हो। उनका कहना था कि अभी इंटरनेट की कमी के कारण देश के गांवों का एक बड़ा हिस्सा तकनीकी ज्ञान और कृषि संबंधी जानकारियों सहित अनेक फायदों और सुविधाओं से अनभिज्ञ रह जाता है। केंद्र सरकार चाहती है कि कृष् और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में काम हो और तेजी से हो। हमें पूरा विश्वास है कि देश के सभी गांव 2025 तक इंटरनेट की सुविधा से युक्त हो जाएंगे। एक बार जब वह इंटरनेट की सुविधा से जुड़ जाएंगे तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कायाकल्प होने में बहुत वक्त नहीं लगेगा।

केसीसी पर कोई चर्चा नहीं

वैसे, इस बजट से किसान यह उम्मीद लगा रहे थे कि केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) की क्रेडिट क्षमता बढ़ा दी जाएगी लेकिन फिलहाल इस पर बजट में कोई चर्चा नहीं हुई। इससे किसानों में थोड़ी मायूसी देखी गई।

प्रतिक्रियाएं

सरकार जब तक MSP  गारंटी कानून नहीं बताती, किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। इस बजट में MSP  गारंटी कानून की कोई बात ही नहीं कही गई। -राकेश टिकैत, किसान नेता यह बजट भविष्य का बजट है। यह एग्रीकल्चर सेक्टर को पूरी तरह बदल कर रख देगा। इस बजट की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसमें कृषि क्षेत्र में पढ़ाई को लेकर गंभीरता दिखाई गई है। यह अच्छी बात है। आप जब पढ़-लिख कर खेती करेंगे तो निश्चित तौर पर आप बढ़िया से खेती करेंगे, बढ़िया आमदनी होगी आपकी। आप सोचिए कि सरकार 2025 तक किसानों को हर गांव में आप्टिकल फाइबर तकनीक देने जा रही है। इसका सीधा असर किसानों, उन्के बच्चों या यूं कहें कि पूरे परिवार, पूरे इलाके में होगा। यह किसानों के लिए अब तक का बेहतरीन बजट है। -प्रोफेसर सीएन बी शर्मा, कृषि अर्थशास्त्री
इंतजार की घड़ियां हुई खत्म, जानिए किस दिन आएगी पीएम किसान की 13वीं किस्त

इंतजार की घड़ियां हुई खत्म, जानिए किस दिन आएगी पीएम किसान की 13वीं किस्त

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार वो घड़ी आ ही गयी, जब किसानों को पीएम किसान योजना के अंतर्गत 13वीं किस्त दी जाएगी. जिसके लिए दिन भी लगभग तय हो चुका है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं. किसानों के हित में उन्होंने पीएम किसान योजना को शुरू किया. जिसकी 17 किस्त पीएम ने खुद 17 अक्टूबर के दिन जारी की थी. बता दें केंद्र सरकार ने इसके लिए लगभग 16 हजार करोड़ रूपये खर्च किये थे. जिसका फायदा देश के 8 करोड़ किसानों को हुआ था. पीएम किसान यानि कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना केंद्र सरकार की योजना है. जिसके तहत किसानों को साल में 6 हजार रुपये दिए जाते हैं. 6 हजार की यह राशि तीन किस्तों में यानि की दो-दो हजार करके दी जाती है. इसका मतलब सरकार हर चौथे महीने दो हजार की किस्त जारी करती है, जो सीधा किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की जाती है.

पीएम किसान योजना के बारे में

यह योजना देश के उन भूमिधारक किसानों परिवारों के लिए है, जो उनकी आय में मदद करती है. इस योजना के तहत किसानों को कृषि के साथ साथ अन्य घरेलू जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है. इस योजना की शुरुआत खास तौर पर सीमांत किसानों के लिए की गयी थी.

इस दिन जारी हो सकती है 13वीं किस्त

किसानों को 13वीं किस्त का बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार है. जानकारी के मुताबिक बता दें कि, केंद्र सरकार आने वाली होली तक इस किस्त को जारी कर सकती है. किसानों को अगर इस योजना का फायदा लेना है तो इसके लिए उन्हें सबसे पहले अपना ई-केवाईसी अपडेट करवाना जरूरी होगा. वरना उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा. ये भी पढ़ें: जानें पीएम किसान योजना जी 13 वीं किस्त कब तक आएगी

ऑनलाइन ऐसे करें अपना ई-केवाईसी अपडेट

ऑनलाइन ई-केवाईसी अपडेट करने के लिए किसान भाइयों को सबसे पहले पीएम किसान से सम्बंधित आधिकारिक साइट पर विजिट करना होगा. जिसके बाद उनके सामने ई-केवाईसी का विकल्प आएगा. जिसपर क्लिक करके अपना आधार कार्ड नंबर दाखिल करना होगा. अगले चरण में कैप्चा कोड और रजिस्टर मोबाइल नंबर डालना होगा. एसएमएस के जरिये ओटीपी आएगा, जिसे दर्ज करके आप अपना ई-केवाईसी अपडेट कर सकते हैं.
बिना प्रौद्योगिकी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था मुमकिन नहीं - राज्य मंत्री कैलाश चौधरी

बिना प्रौद्योगिकी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था मुमकिन नहीं - राज्य मंत्री कैलाश चौधरी

अनुसूचित जाती आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा है, कि बदलते युग में टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत 2047 तक विकसित देश बनने में सक्षम होगा। साथ ही, अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ विश्व के लिए उत्पादन भी करेगा। कृषि में प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है, कि यदि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करना है, तो कृषि क्षेत्र में सटीक खेती (प्रिसिजन फार्मिंग), कृत्रिम मेधा (एआई) और कृषि-ड्रोन आदि जैसी नवीन तकनीकों को बड़े स्तर पर अपनाना होगा। उन्होंने ईटी एज की मदद से भारत की प्रमुख कृषि-रसायन कंपनी धानुका समूह द्वारा नई दिल्ली में आयोजित "कृषि में भविष्य की नई तकनीकें: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक परिदृश्य परिवर्तक" पर एक दिन के सेमिनार में यह कहा है।

अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता हेतु मिलेगा सहयोग

स्वयं के खेती के अनुभव को याद करते हुए उन्होंने कहा, "ट्रैक्टर तकनीक की शुरुआत से पहले किसानों के पास बारिश के 4-5 दिनों के भीतर खेतों को जोतने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। बैल जोतते थे, इसलिए गति धीमी होने की वजह से आधे खेत अनुपयोगी रह जाते थे। ट्रैक्टर प्रौद्योगिकी ने किसानों को कुछ दिनों में खेतों के बड़े भू-भाग को जोतने में सक्षम बनाया और इससे हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हांसिल करने में मदद मिली। इसी तरह हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निकट भविष्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खेती में कृत्रिम मेधा (एआई), ड्रोन, सटीक खेती, ब्लॉकचेन जैसी नवीन तकनीकों का फायदा उठाने की जरुरत है।"

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फसलीय पैदावार में वृद्धि करने के लिए तकनीक बेहद जरूरी - कैलाश चौधरी

कैलाश चौधरी ने संगोष्ठी में मौजूद वैज्ञानिकों को नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों के साथ किसानों को सशक्त बनाकर कृषि उत्पादन में पर्याप्त इजाफा करने के लिए भारत के वर्षा-सिंचित जनपदों में 40 प्रतिशत कृषि योग्य जमीन में तकनीक का इस्तेमाल कर उत्पादन बढ़ाने का भी आह्वान किया। भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा, "देश में अधिकांश कृषि भूमि की क्षमता समाप्त हो गई है। केवल बारिश पर निर्भर क्षेत्र बचा है, जिसकी क्षमता का दोहन करने की जरुरत है।"

भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम राम नाथ कोविंद ने संगोष्ठी को भेजा संदेश

संगोष्ठी के लिए भेजे गए अपने संदेश में भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम राम नाथ कोविंद ने कहा, “भारतीय कृषि विज्ञान आधारित प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार दे रही है। स्पष्ट रूप से गतिशील कृषि वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, किसानों के प्रतिनिधियों और उद्योग जगत के दिग्गजों की मौजूदगी में यह चर्चा एक सदाबहार क्रांति के जरिए से कृषि के भविष्य में क्रांति लाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।”

कृषि में प्रौद्योगिकी किसानों को सशक्त और मजबूत बना सकती है

अपने जमीनी अनुभव को साझा करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा है, कि किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए प्रौद्योगिकी के विवेकपूर्ण इस्तेमाल की वकालत की है। उन्होंने कहा,“जब मैंने एक स्कूल में छात्रों से बातचीत की, तो उनमें से तकरीबन सभी वैज्ञानिक, इंजीनियर और डॉक्टर बनना चाहते थे। परंतु, उनमें से कोई भी किसान बनना नहीं चाहता था। ऐसा इसलिए है, क्योंकि देश ने खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता तो हांसिल कर ली है। लेकिन, किसान आज भी गरीब है। यही वजह है, कि हमें इस बात पर विचार करने की काफी जरुरत है, कि किस तरह कृषि में प्रौद्योगिकी प्रत्यक्ष तौर पर किसानों को मजबूत और शक्तिशाली बना सकती है। साथ ही, उनके जीवन को अच्छा बनाकर उन्हें सम्मानित जीवन प्रदान कर सकती है।

डॉ दीपक पेंटल ने कृषि-रसायन को लेकर क्या कहा है

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डॉ दीपक पेंटल द्वारा जीएम फसलों की सशक्त वकालत करते हुए कहा, "अमेरिका ने बहुत पहले जीएम फसलों को पेश करके कृषि उत्पादन में 35% की वृद्धि की है, जबकि यूरोप सिर्फ 6-7% तक ही सीमित रहा है। वैसे भी यूरोप में जनसंख्या नहीं बढ़ रही है, इसलिए उनके पास विकल्प है। लेकिन क्या हमारे पास विकल्प है? इसलिए हमें यह तय करने की आवश्यकता है, कि हम विभाजन के किस तरफ रहना चाहते हैं। डॉ. पेंटल ने कृषि-रसायनों के इस्तेमाल का समर्थन करते हुए कहा है, कि यदि हम चाहते हैं कि फसलों को कम हानि पहुँचे, तो उच्च गुणवत्ता वाले कृषि-रसायन जरूरी हैं।
आखिर क्या होता है अल-नीनो जो लोगों की जेब ढ़ीली करने के साथ अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है

आखिर क्या होता है अल-नीनो जो लोगों की जेब ढ़ीली करने के साथ अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है

आजकल आप बार-बार 'अल-नीनो' का नाम सुन रहे होंगे। क्या आपको मालूम है, कि यह कैसे आपकी और हमारी जेब पर प्रभाव डालता है। कैसे देश में खेती-किसानी और अर्थव्यवस्था को चौपट करता है। 

आगे हम आपको इस लेख में इसके विषय में बताने वाले हैं। आजकल ‘अल-नीनो’ का जिक्र बार-बार किया जा रहा है। इसकी वजह से महंगाई में इजाफा, मानसून खराब होने और सूखा पड़ने की संभावना भी जताई जा रही है। 

ऐसी स्थिति में क्या ये जानना आवश्यक नहीं हो जाता है, कि आखिर ‘अल-नीनो’ होता क्या है ? यह कैसे देश की अर्थव्यवस्था और आपकी हमारी जेब का पूरा हिसाब-किताब को प्रभावित करता है? 

सरल भाषा में कहा जाए तो ‘अल-नीनो’ प्रशांत महासागर में बनने वाली एक मौसमिक स्थिति है, जो नमी से भरी मानसूनी पवनों को बाधित और प्रभावित करती हैं। 

इस वहज से विश्व के भिन्न-भिन्न देशों का मौसम प्रभावित होता है। जानकारी के लिए बतादें, कि भारत, पेरू, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और प्रशांत महासागर से सटे विभिन्न देश इसके चंगुल में आते हैं।

अल-नीनो अपनी भूमिका शादी में ‘नाराज फूफा’ की तरह अदा करता है

भारत में आम लोगों के मध्य ‘शादी में नाराज हुआ फूफा’ का उलाहना दिया जाता है। बतादें, कि ‘अल-नीनो’ को भी इसी श्रेणी में रखा जा सकता हैं। अंतर केवल इतना है, कि इस ‘फूफा’ को स्पेनिश नाम से जानते हैं। 

यह भारत की सरजमीं से दूर प्रशांत महासागर में रहता है। यह देश में शादी होने से पहले यानी ‘मानसून आने से पहले’ ही अपना मुंह फुला कर बैठ जाता है। 

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दरअसल, जब प्रशांत महासागर की सतह सामान्य से भी अधिक गर्म हो जाती है। जब ऑस्ट्रेलिया से लेकर पेरू के मध्य चलने वाली पवनों का चक्र प्रभावित होता है। 

इसी मौसमी घटना को हम ‘अल-नीनो’ कहते है। सामान्य स्थिति में ठंडी हवाएं पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चलती हैं। वहीं गर्म पवन पश्चिम से पूर्व की दिशा में चलती हैं। 

वहीं ‘अल-नीनो’ की स्थिति में पूर्व से पश्चिम की बहने वाली गर्म हवाएं पेरू के आसपास ही इकट्ठा होने लगती हैं अथवा इधर-उधर हो जाती हैं। इससे प्रशांत महासागर में दबाव का स्तर डगमगा जाता है। 

इसका प्रभाव हिंद महासागर से उठने वाली दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं पर दिखाई देता है। इन्हीं, पवनों से भारत में घनघोर वर्षा होती है।

अल-नीनो खेती-किसानी की ‘बैंड’ बजाकर रख देता है

बतादें, कि जब चर्चा शादी की हो और उसमें कोई ‘बैंड’ ना बजे तो शादी में मजा ही नहीं आता। दरअसल, ‘अल-नीनो’ से भारत में सबसे ज्यादा खेतीबाड़ी का ही बैंड बजता है। 

भारत में खेती आज भी बड़े स्तर पर ‘मानसूनी बारिश’ पर आधीन रहती है। ‘अल-नीनो’ के असर के चलते भारत में मानसून का विभाजन बिगड़ जाता है, इसी वजह से कहीं सूखा पड़ता है तो कहीं बाढ़ आती है।

अल-नीनो से अर्थव्यवस्था और जेब का बजट दोनों प्रभावित होते हैं

फिलहाल, यदि सीधा-सीधा देखा जाए तो ‘अल-नीनो’ का भारत से कोई संबंध नहीं, तो फिर आपकी-हमारी जेब पर असर कैसे पड़ेगा ? परंतु, अप्रत्यक्ष तौर पर ही हो, ‘अल-नीनो’ आम आदमी की जेब का बजट तो प्रभावित करता ही है। 

साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर डालता है। खेती पर प्रभाव पड़ने से उत्पादन भी प्रभावित होता है। इसके साथ-साथ खाद्य उत्पादों की कीमतें भी बढ़ती हैं। 

इसका सीधा सा अर्थ है, कि महंगाई के चलते आपकी रसोई का बजट तो प्रभावित होना तय है। अन्य दूसरे कृषकों की आमदनी प्रभावित होने से भारत में मांग की एक बड़ी समस्या उपरांत होती है। 

साथ ही, महंगाई में बढ़ोत्तरी आने से लोग अपनी लागत को नियंत्रित करने लगते हैं। इसका परिणाम अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ता है। भारत में मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को इसका काफी बड़ा नुकसान वहन करना पड़ता है।

कृषि मंत्रालय ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना में किया अहम बदलाव

कृषि मंत्रालय ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना में किया अहम बदलाव

यदि आप प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के पात्र हैं। तो ऐसे में आपके लिए एक बड़ी खबर है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जिसका प्रत्यक्ष तौर पर प्रभाव देश के 8 करोड़ से अधिक किसानों के ऊपर पड़ेगा। भारत सरकार शीघ्र ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 14वीं किस्त की धनराशि को हस्तांतरित करने वाली है। अब ऐसे में योजना की 14वीं किस्त को जारी करने से पूर्व सरकार ने कुछ जरूरी बदलाव योजना के अंदर किए हैं। वर्तमान में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में लाभार्थी स्टेटस देखने का ढ़ंग पूर्णतय बदल गया है। इसके अतिरिक्त सरकार ने पीएम किसान मोबाइल एप भी जारी किया है। बेनिफिशियरी स्टेटस को देखने का तरीका फिलहाल परिवर्तित हो चुका है। बेनिफिशियरी स्टेटस को देखने के लिए आपको फिलहाल रजिस्ट्रेशन नंबर की आवश्यकता पड़ेगी।

कृषि मंत्रालय ने पीएम किसान मोबाइल ऐप जारी किया

साथ ही, फर्जीवाड़े की रोकथाम करने के मकसद से केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने पीएम किसान मोबाइल एप को भी जारी किया है। इस ऐप की विशेष बात यह है, कि यह फेस ऑथेन्टिकेशन तकनीक से युक्त है।

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अब किसान ऐप से कर सकेंगे किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की ई-केवाईसी प्रक्रिया
जानकारी के लिए बतादें कि इस एप की सहायता से किसान बड़ी सहजता से फेस ऑथेंटिकेशन की मदद से अपनी ई-केवाईसी करा सकते हैं। अब ऐसी स्थिति में उनको वन टाइम पासवर्ड एवं फिंगरप्रिंट की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

15 जुलाई से पहले आ सकती है 14वीं किस्त

भारत सरकार की तरफ से अब तक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 13 किस्तें जारी की जा चुकी हैं। अब ऐसी स्थिति में देशभर में करोड़ों किसान इस स्कीम की 14वीं किस्त का बड़ी ही उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक, तो भारत सरकार 15 जुलाई से पूर्व प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 14वीं किस्त की धनराशि को हस्तांतरित कर सकती है। हालांकि, सरकार की तरफ से अब तक इसको लेकर किसी तरह की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
भारत की तरफ से केन्या के कृषि क्षेत्र को 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का उपहार

भारत की तरफ से केन्या के कृषि क्षेत्र को 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का उपहार

वार्ता के पश्चात अपने मीडिया बयान में पीएम मोदी ने कहा है, कि भारत ने अपनी विदेश नीति में हमेशा अफ्रीका को उच्च प्राथमिकता दी है और पिछले लगभग एक दशक में मिशन मोड पर महाद्वीप के साथ अपने समग्र संबंधों का विस्तार किया है। केन्या के राष्ट्रपति विलियम सामोई रुतो दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों का विस्तार करने के उद्देश्य से तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार को भारत पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारत के दौरे पर आए केन्या राष्ट्रपति विलियम सामोई रुतो के साथ व्यापक बातचीत के पश्चात केन्या के कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए उन्हें 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने के भारत के फैसले की घोषणा की। रुतो दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों का विस्तार करने के उद्देश्य से तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार को यहां पहुंचे।

पीएम मोदी ने क्या कहा है

वार्ता के बाद अपने मीडिया बयान में पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने अपनी विदेश नीति में सदैव अफ्रीका को उच्च प्राथमिकता दी है और पिछले लगभग एक दशक में मिशन मोड पर महाद्वीप के साथ अपने समग्र संबंधों का विस्तार किया है। उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि राष्ट्रपति रुटो की भारत यात्रा केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी बल्कि अफ्रीका के साथ हमारे जुड़ाव को एक नई गति देगी।"

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भारत केन्या के कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए देगा सहयोग

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत केन्या को उसके कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहयोग प्रदान करेगा। हिंद-प्रशांत का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि क्षेत्र में भारत एवं केन्या के मध्य करीबी सहयोग साझा प्रयासों को आगे बढ़ाएगा।

'आतंकवाद मानवता के सामने सबसे गंभीर चुनौती'

पीएम मोदी ने कहा कि भारत तथा केन्या का मानना है, कि आतंकवाद मानवता के समक्ष सबसे गंभीर चुनौती है। उन्होंने आगे बताया कि दोनों पक्षों ने आतंकवाद विरोधी सहायता बढ़ाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष भारत-केन्या आर्थिक सहयोग की पूर्ण क्षमता का एहसास करने के लिए नवीन अवसर तलाशना जारी रखेंगे।
कृषि क्षेत्र में जल के अतिदोहन से विनाशकारी परिणाम झेलने पड़ सकते हैं - कृषि वैज्ञानिक

कृषि क्षेत्र में जल के अतिदोहन से विनाशकारी परिणाम झेलने पड़ सकते हैं - कृषि वैज्ञानिक

नीति आयोग के प्रोफेसर रमेश चंद का कहना है, कि विभिन्न विकसित और विकासशील देशों के मुकाबले भारत में प्रति टन फसलीय उपज में 2-3 गुना ज्यादा जल की खपत होती है।

प्रो. चंद ने कहा कि "कृषि क्षेत्र सिंचाई परियोजनाओं में संसाधनों की बर्बादी, फसल के गलत तौर-तरीकों, खेती-बाड़ी की गलत तकनीकों और चावल जैसी ज्यादा पानी उपयोग करने वाली एवं बिना मौसम वाली फसलों पर बल देने से समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। 

समस्या का शीघ्र समाधान करने की जरूरत है, जिसके लिए सटीक खेती और आधुनिक तकनीकों का चयन करने की आवश्यकता है। विशेष तौर पर कम पानी वाली फसलों पर अधिक बल देना होगा।"

जल के अतिदोहन को रोकना बेहद जरूरी 

“भारत कई विकसित और विकासशील देशों के मुकाबले में 1 टन फसल उपज करने के लिए 2-3 गुना अधिक पानी का उपयोग करता है। खेती का रकबा बढ़ा है, लेकिन ज्यादातर रबी फसलों का, जब बारिश न के बराबर होती है। इसे बदलने की जरूरत है। राज्य सरकारों को विशेष रूप से स्थानीय पर्यावरण और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार खेती-बाड़ी को बढ़ावा देने की जरूरत है।” 

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यह बात नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, धानुका समूह द्वारा विश्व जल दिवस 2024 के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में मुख्य भाषण देते हुए कही गई।

देश में सिंचाई परियोजनाओं पर अरबों रुपये खर्च

वर्ष 2015 से पहले भारत के सिंचाई बुनियादी ढांचे की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए, प्रोफेसर रमेश चंद ने आगे कहा, “1995 और 2015 के बीच, छोटे-बड़े सभी तरीके के सिंचाई परियोजनाओं पर अरबों रुपये खर्च हुए। लेकिन, सिंचित जमीन उतनी ही रही। इसमें बड़े बदलाव की आवश्यकता थी और 2015 से केंद्र सरकार ने स्थिति का आंकलन कर तंत्र को बदल दिया। परिणामस्वरूप, पिछले कुछ वर्षों से सिंचित भूमि हर वर्ष 1% बढ़ते हुए 47% से 55% हो गई है।”

कम जल खपत में अधिक भूमि की सिंचाई

दरअसल, कम पानी निवेश में सिंचित भूमि में इजाफा करने पर जोर देते हुए भारत सरकार में कृषि आयुक्त डॉ पी के सिंह ने कहा,“जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से हम जमीन के ऊपर के पानी के बेहतर उपयोग के तरीकों पर काम कर रहे हैं। 

उदाहरण के लिए, यदि एक नहर का पानी वर्तमान में 100 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित कर रहा है, तो हम विभिन्न साधनों का उपयोग करके समान मात्रा में पानी का उपयोग करके इसे 150 हेक्टेयर तक कैसे ले जा सकते हैं।

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आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. आर सी अग्रवाल ने कृषि क्षेत्र में पानी के सही उपयोग के बारे में किसानों और युवाओं को शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। 

डॉ. अग्रवाल ने कहा, “हम एक पाठ्यक्रम डिजाइन कर रहे हैं, जो उन्हें कृषि क्षेत्र में पानी के उपयोग के बारे में जागरूक करेगा और समाधान प्रदान करेगा।”

आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से जल की खपत कम होगी 

बतादें, कि शुरुआत करते हुए धानुका समूह के चेयरमैन आरजी अग्रवाल ने कृषि कार्यों में आधुनिक तकनीकों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग पर बल दिया। 

उन्होंने कहा कि “लगभग 70% प्रतिशत पानी का उपयोग कृषि उद्देश्यों के लिए किया जाता है। ड्रोन, स्प्रिंकलर, ड्रिप सिंचाई और जल सेंसर जैसी आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से कृषि उद्देश्यों के लिए पानी की जरूरत को काफी कम करने में सहायता मिलेगी। इससे पानी की बर्बादी को काफी हद तक कम करने में भी सहायता मिलेगी।”